वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />६ मई २०१५<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />नायमात्मा प्रवचनेन लभ्यो न मेधया न बहुना श्रुतेन ।<br />यमेवैष वृणुते तेन लभ्यः तस्यैष आत्मा विवृणुते तनूस्वाम् । ।<br />कठ उपनिषद् (१.२.२३)<br /><br />आत्मा प्रवचन सुनने से नहीं मिलेगी,<br />ना ही तुम्हारी बुद्धि से,<br />न ही सुनी सुनाई बातों से|<br />आत्मा उसी को मिलती है जिसे वह स्वयं चुनती है |<br /><br />प्रसंग:<br />आत्मा क्या है?<br />आत्मा का क्या स्वभाव है?<br />मन क्या है?<br />मन को कैसे समझे?<br />क्या मन आत्मा की इच्छा कर सकता है?<br />सत्य क्या है?<br />क्या मन सत्य को समझ सकता है?